Tuesday, October 23, 2012

गरबा ..................................................


Saturday, July 14, 2012

एक आइडिया जो बदल दे ग्वालियर................... !

महापौर समीक्षा गुप्ता प्रोजेक्ट देखती हुई
क्या आपके पास है वो आइडिया ? , तो देर क्यों लिख भेजे
-आपका आइडिया बदल सकता है ग्वालियर की तस्वीर
-10 सर्वश्रेष्ठ आइडिया के मिलेंगे आकर्षक पुरस्कार
- आपका आइडिया भेजा जाएगा प्रदेश सरकार को
- कोई भी ले सकता है भाग

ग्वालियर : ग्वालियर लगातार मेट्रो सिटी की ओर बढ़ रहा है , एक तरफ विकास और तरक्की के नए पैमाने गढ़ें जा रहे हैं तो दूसरी तरफ बेकाबू आबादी, प्रदूषण, गंदगी और बीमारी के नए मर्कज भी बन रहे हैं. गांवों से बढ़ता पलायन और बिना किसी नापजोख के चल रहा शहरीकरण इस शहर की कैसी तस्वीर बना रहा है,आज हमारे सामने यह सबसे बड़ा मुद्दा है.
हमारा यह मानना है कि शहरीकरण का मतलब ही हो गया है रफ्तार. रफ्तार का मतलब है वाहन. और वाहन हैं कि विदेशी मुद्रा भंडार से खरीदे गए ईंधन को पी रहे हैं और बदले में दे रहे हैं दूषित हवा. शहर का मतलब है उद्योगीकरण ना कि अनियोजित कारखानों की भरमार ,नतीजा यह हुआ है कि शहर  की दोनों प्रमुख नदियां जहरीली हो चुकी हैं. नदी थी खेती के लिए, मछली के लिए, दैनिक कार्यों के लिए, न कि गंदगी सोखने के लिए.साल दर साल बढ़ती गर्मी, फैलता जलसंकट और मरीजों से पटते अस्पताल. इसी तरह की तमाम और समस्याएं हैं जो दिनोंदिन चिंता का विषय बनती जा रही हैं.अब इन समस्याओं कैसे कम किया जाए इसके लिए आपका एक सुझाव आपके ग्वालियर शहर के लिए संजीवन बूटी का कॉम कर सकता है .तो देर किस बात की उठाइये कलम ओर लिख भेजिए अपना खूबसूरत सुझाव ............................

आपको ये करना है :

एक आइडिया जो बदल दे ग्वालियर टैग लाइन को ध्यान में रखकर आपके पास जो भी सुझाव (आइडिया) हो वह हमें १०० शब्दों से लेकर ५०० शब्दों तक लिख कर या ई – मेल के माध्यम से हमें भेजे,हम आपके सुझाव (आइडिया) को जिला प्रशासन ओर प्रदेश सरकार के पास तक पहुचायेंगे.यही नहीं १० सर्वश्रेष्ठ आइडिया को पुरस्कार ओर प्रमाण पत्र भी दिए जायेंगे .

अपना फोटो ओर डिटेल भी दें :

सम्बंधित लेख के साथ आप अपना एक पीपी फोटो ओर अपने बारे में आवश्यक जानकारी भी लिखे ताकि चयन होने पर आपका आइडिया फोटो के साथ समाचार पत्र,न्यूज़ वेवसाइट पर फोटो सहित प्रकाशित किया जा सके .
अधिक जानकारी के लिए इन नंबरों को डायल करें :
09826087730
09425670196
07512231566

यहां भेजे :

1-इंडिया शाम तक (सांध्य दैनिक )
196 ,शारदा बिहार ,न्यू हाईकोर्ट के पास
ग्वालियर (मप्र)
2- पोलखोल डॉटकॉम (A LAEGEST NEWS WEBSAIT)
एच -10 ,साईट नंबर -1 ,सिटी सेंटर
ग्वालियर  (मप्र)

E-MAIL करें :

shrimali.media@gmail.com
polekhole786@gmail.com
report.polekhole@yahoo.co.in



Saturday, June 16, 2012

ग्वालियर किले का खूबसूरत दृश्य

क्योंकि मेरे पास है "पापा दि ग्रेट "

हैप्पी फादर्स डे

फादर, पिता या पापा..एक रिश्ता, कई नाम. ऐसा रिश्ता जो हमारी जिंदगी का ताना-बाना बुनता है.जिसकी उंगली पकड़ कर पहले-पहल चलना सीखते हैं हम. जिसके सीने में छुपकर जिंदगी की धड़कन सुनते हैं. ऐसे खूबसूरत रिश्ते को सराहने-संवारने के लिए तो पूरी जिंदगी कम है.
आपको याद है पिछली बार आपने अपने पापा से कब पूछा था कि आप कैसे है ,आपका दिन कैसा रहा ?मगर ऐसा एक  भी दिन ना गुजरा होगा जब उन्होंने आप से ना पूछा हो कि आप कैसे हो ?,दिन कैसा रहा ?,कोई जरुरत है ? यह बात सही है कि माँ हमारा सबसे ज्यादा ख़याल रखती है मगर पिता हमें उससे कम प्यार नहीं करते है .अपने कामों .और हमार लिए सुख सुविधाओ को जुटाने में वे इतने व्यस्त होते है उन्हें यह कहने का वक्त ही नहीं मिलता कि बेटा "आई लव यू ".मगर हम तो वक्त रहते भी नहीं कह पाते हैं .डाट को हमेशा गुस्सा समझ कर उनसे दूर भागने की कोशिश करते हैं .मगर यह कभी नहीं सोचते हैं कि उन्होंने हमेशा  हमारे लिए बेहतर ही सोचा और किया है .
अगर आपने कभी अपने पापा को कहा नहीं है कि आप उन्हें कितना चाहते हैं ,या ऐसा कहने की सोच रहें हैं तो आपको आज से बेहतर मौका नहीं मिलेगा .आज फादर्स डे हैं और अब आप बिना सोचे उन्हें कहिये कि आप उनसे कितना प्यार करतें है .एक छोटा सा तोहफा या फिर रविवार की सुबह सिर्फ एक कप चाय की प्याली उनके सामने रखिये और उनसे कहिये कि आप उनसे बहुत प्यार करते हैं ,क्योंकि ना जाने कितने फादर्स डे आपने उन्हें बिना यह बात कहे निकाल दिए हैं अब और इन्तजार मत करिये ,ऐसा न हो कि आप इन्तजार ही करतें राह जाएँ .
अगर  उन्हें विश  कराने का कोई तरीका समझ न आ रहा हो तो बाज़ार खंगाल लीजिए .आपको अपने पापा के लिए कुछ अच्छी और खूबसूरत चींजे जैसे वुडेन वाच ,बकल्स,मग्स  मिल जायेंगे चाहें तो उन पर पापा की फोटो प्रिंट करवा लें .

पापा को यंग पापा बनाएं

कभी गौर से देखा है पापा के चेहरा। आपकी जिंदगी संवारते-संवारते उनकी चेहरे की चमक कहीं खो सी गई है। वक्त से कहीं पहले उम्र की परछाइयां तैरने लगी हैं। क्यों न इस फादर्स डे पर आप उन्हें उनकी तरोताजगी वापस लौटा दें। आप कई तरीकों से ऐसा कर सकते हैं।

टीशर्ट: उनके लिए आकर्षक रंगों वाली स्लोगन लिखी टी शर्ट खरीदिए जिसे पहनकर वह फिर से कॉलेज के दिनों वाली एनर्जी से भर जाएंगे।

फेशियल: किसी अच्छे से सैलून में ले जाकर उनका फेशियल कराइए जिससे एक बार फिर उनके चेहरे की चमक वापस आ जाए।

नया मोबाइल: कभी उनका मोबाइल देखा है? कितना पुराना हो गया है। उन्हें लेटेस्ट एप्स वाला एक मल्टी फंक्शन मोबाइल खरीद कर दीजिए जिससे आपके सीधे सादे पापा का अंदाज टेक टेकी हो जाए।

पापा फेसबुक: अपने पापा का फेसबुक अकाउंट बनाएं और उसमें उनके पुराने स्कूल या कॉलेज के दोस्तों को एड करें। फिर पापा को इसके बारे में बताएं। भले आपके पापा फेसबुक ऑपरेट न करें, मगर इस बहाने पुराने दोस्तों से उनकी री-यूनियन तो हो जाएगी।

उनकी सेहत का खयाल रखें

ऑफिस का काम, ओवरटाइम का बोझ, घर की जिम्मेदारियां और दूसरी कई तरह की टेंशन। कहीं न कहीं इन सबका खामियाजा आपके पापा की सेहत को भुगतना पड़ता है। तभी तो आए दिन वह सिर दर्द या मानसिक तनाव से जूझते हैं। तो क्यों न फादर्स डे के बहाने आप उनकी फिटनेस की थोड़ी सी फिक्र कर लें।

Monday, June 11, 2012

खूबसूरत चम्बल नदी के किनारे अटेर किला भदौरिया राजाओं की कई कहानी कहता है .

अटेर का किला ............................

मेहंदीपुर बालाजी :एक अदालत भूतों के लिए !

श्री बालाजी महाराज
बालाजी दरबार में अर्जी लगाते भक्त 
घाटा मेहंदीपुर  : बाल बिखेरे महिलाएं सिर घुमा रही हैं! उनके शरीर पर भारी पत्थर भी रखे हैं! उनकी चीत्कार और बचाओ-बचाओ की गुहार भी सुनाई पड़ रही है! एक कोने में महिलाएं कंडे जलाकर धुएं की तरफ अपना सिर करके झूम रही हैं! गलियारे में मैले कुचैले कपड़े पहने महिलाएं और पुरुष बेड़ियों और सांकलों में बंधे हैं! तेज आवाज में बड़बड़ा भी रहे हैं मानो वे गुस्से में हवा से बातें कर रहें हों! चिथड़ों में लिपटे कुछ ऐसे लोग भी पड़े हैं जिनके तन पर पूरी चमड़ी भी नहीं है! ये प्रेतराज सरकार का दरबार है।राजस्थान के दौसा और करौली जिलों को बांटने वाली मेहंदीपुर पहाड़ियों के बीच घाटी में बालाजी मंदिर में यह दरबार हर रोज दो बजे से चार बजे तक लगता है। 
यह मंदिर हिंडौन से दिल्ली-जयपुर हाइवे को जोड़ने वाली सड़क पर दौसा और करौली जिलों की सीमा पर स्थित है। सड़क मार्ग से बालाजी जाने के लिए दिल्ली से दो रास्ते हैं। एक रास्ता मथुरा, भरतपुर होकर जाता है। दूसरा रास्ता अलवर से होते हुए बांदीकुई से है। रेल से जाने के भी दो रास्ते हैं। एक है दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग से। इस रास्ते से जाने पर हिंडौन या महावीर जी स्टेशन पर उतरकर लगभग एक घंटे का सड़क मार्ग तय करके बालाजी पहुंचा जा सकता है। दूसरा तरीका है कि दिल्ली जयपुर अहमदाबाद रेल मार्ग से जाकर बांदी कुंई स्टेशन पर उतरना होगा। बालाजी पहुंचने के लिए आगे का रास्ता सड़क से होकर जाता है। ठहरने के लिए यहां तमाम धर्मशालाएं हैं। वैसे यहां सुबह-सुबह पहुंचना अच्छा रहता है।इस दौरान कचहरी की तरह यहां अर्जी लगाने वाले भक्तों को कष्ट देने और बाधा देने वाले भूत-प्रेतों की पेशी ली जाती है और अपराध के मुताबिक उन्हें दंड भी दिया जाता है।
वैसे तो बालाजी का एक सुविख्यात मंदिर दक्षिण भारत में है लेकिन वहां बालाजी के दर्शन राम के बाल रूप में होते हैं। जबकि मेहंदीपुर में हनुमान जी के बाल रूप को श्रद्धालु बालाजी कहते हैं। बालाजी में मुख्य रूप से तीन दरबार हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही पहला बालाजी (हनुमान जी) का दरबार है, फिर दाईं तरफ दूसरा भैरव जी का दरबार और फिर सीढ़ियों से ऊपर जाकर तीसरा प्रेतराज सरकार का दरबार है। मान्यता है कि अब से करीब १००० वर्ष पूर्व तीनों देव यहां प्रकट हुए थे। बालाजी, कोतवाल कप्तान और प्रेतराज सरकार की मूर्तियों को अलग से किसी मूर्तिकार ने गढ़कर नहीं बनाया है बल्कि वे पर्वत का एक हिस्सा हैं। समूचा पर्वत मानो उनका 'कनक भूधराकार' शरीर है। प्रकट होने से अब तक १२ महंत बालाजी की सेवा में रहे हैं। वर्तमान मंदिर महंत गणेशपुरी के सेवाकाल में बना था।
बालाजी महाराज की जय! कोतवाल कप्तान की जय! प्रेतराज सरकार की जय! इन जयकारों के साथ हर रोज सुबह साढ़े छह बजे मंदिर में बालाजी की आरती होती है। उस समय मंदिर परिसर ही नहीं बल्कि बाहर सड़क पर भी भारी भीड़ जमा होती है। बालाजी की आरती संपन्न होने पर सभी श्रद्धालुओं पर पुजारी महाराज छींटे देते हैं। फिर धीरे-धीरे भीड़ छंटती है और केवल दरख्वास्त लगाने वाले लोग ही पंक्ति में खड़े रहते हैं।अर्जी दिन में केवल आठ बजे से ग्यारह बजे तक लगाई जाती है।
पंक्ति में जितने लोग उतनी ही शिकायतें और परेशानियां हैं। किसी का व्यापार इन दिनों मंदा पड़ा है तो किसी की नौकरी छूट गई है, किसी का काम बनते-बनते बिगड़ जाता है तो कोई तमाम मेहनत के बाद भी परीक्षा में सफल नहीं हो रहा है। कोई अपने परिवार में किसी खास के बिगड़े व्यवहार से परेशान है तो किसी को मानसिक परेशानी है या किसी का प्रिय असाध्य बीमारी से गुजर रहा है, किसी की शादी नहीं हो रही है तो कोई शादी के वर्षों बाद भी संतानहीन है। अपनी हर मुश्किल और बाधाओं को दूर करवाने के लिए लोग इस दरबार में हाजिर हैं और अपनी बारी की प्रतीक्षा में हैं ।
दरख्वास्त सवा तीन रुपये में लगती है और अर्जी सवा इक्यासी रुपये में।बडतीमहंगाई का असर अर्जी और दरख्वास्त पर भी पड़ा है ।  दरअसल यह दरबार में चढ़ाने का एक प्रसाद है। दरख्वास्त में एक दोने में कुछ लड्‌डू और बताशे होते हैं जबकि अर्जी में पके चावल और उड़द की दाल होती है, इसे एल्युमिनियम के बर्तन में चढ़ाया जाता है। अर्जी और दरख्वास्त बाजार की किसी भी दुकान से खरीदा जा सकता है। सभी दुकानों में इनकी कीमत समान है। दरख्वास्त छोटी-मोटी परेशानियों और बाधाओं को दूर करने के लिए लगाई जाती है और अर्जी असाधारण व्याधि और कष्टों को दूर करने के लिए लगाई जाती है। यूं समझिए कि यह बालाजी के मंदिर में किसी मन्नत या मनौती करने का एक वैधानिक तरीका है। बालाजी में रिवाज है कि वहां पहुंचते ही सबसे पहले एक दरखास्त इस बात की लगाई जाती है कि हम आपके दरबार में हाजिर हुए हैं। उसके बाद अगली तमाम दरख्वास्त अनेक छोटी-मोटी परेशानियों और मन की मुराद पूरी करने के लिए लगाई जाती हैं। लौटने से पहले एक दरख्वास्त इस बात की लगाई जाती है कि आप हमारी सभी दरख्वास्त या अर्जी स्वीकार करें और हम यहां से अपने घर बिना बाधा के सकुशल पहुंचे। वैसे विशेष परिस्थिति में अलग तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके लिए यहां के महंतजी से परामर्श लेना पड़ता है।एक बात और, लोग यहां कोतवाल कप्तान और प्रेतराज सरकार को चढ़ाए प्रसाद को स्वयं नहीं लेते हैं वरन मंदिर के पिछवाड़े के हरिजन बाड़े में जानवरों को डाल देते हैं। हरिजन बाड़े से सटी पहाड़ी पर सैकड़ों ईंटों और पत्थरों के बने घरौंदे यानी छोटे-छोटे घर बने हैं। ये उन लोगों ने बनवाए हैं जिन पर अपने ही पूर्वजों की कोई भूत-प्रेत बाधा थी। जब वे उनसे मुक्त हो गए तो उन्हें बालाजी की शरण में ही स्थान मिल गया।बताते है कि यहाँ आने पर भक्तों को भूत -प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है ,उनके सभी कष्ट दूर होते है ।

Wednesday, February 22, 2012

'मैंने सूर्य से कुछ जरा यूँ कहा


एक दिन मैंने सूर्य से कुछ जरा यूँ कहा-
आपके साम्राज्य में इतना अँधेरा क्यूँ रहा?

तमतमाकर वो दहाड़ा मैं अकेला क्या करूँ?
तुम निकम्मों के लिए भला मैं कब तक मरुँ?

Friday, January 13, 2012

ग्वालियर DM की दोस्त बने फेसबुक-ट्विटर!



ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के कलेक्टर पी. नरहरि राज्य के उन अधिकारियों की कतार में शामिल हो गए हैं, जो लोगों की शिकायतें सुनने व विकास की प्रक्रिया में उनके सुझाव जानने के लिए फेसबुक अथवा ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। नरहरि के पास इन दोनों साइट्स से हर रोज 30 से 40 शिकायतें व सुझाव आ रहे हैं।
ग्वालियर के कलेक्टर के तौर पर 10 दिन पहले जिम्मेदारी सम्भालने वाले पी. नरहरि ने जिले की हालत सुधारने में आम आदमी की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का सहारा लिया है। उन्होंने फेसबुक व ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाया है। नरहरि इनके जरिए आम लोगों से सीधा सम्पर्क स्थापित कर विकास के लिए सुझाव व शिकायतें जानना चाहते हैं।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में आए पी. नरहरि का कहना है कि ग्वालियर जिले की लगभग 60 फीसदी आबादी शहर में रहती है, लिहाजा इसमें से अधिकांश इंटरनेट का इस्तेमाल करते होंगे। यह मानकर उन्होंने आम लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने के लिए सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का सहारा लिया है।
नरहरि ने बताया कि वह मानते हैं कि अधिकांश लोग कलेक्टर अथवा प्रशासनिक अमले से सीधे सम्पर्क करने से हिचकते हैं, वहीं दूसरी ओर दफ्तर में पहुंचकर मुलाकात आसान नहीं होती। इतना ही नहीं कई लोग फोन से सम्पर्क साधने की कोशिश करते हैं लेकिन अधिकारियों की बैठक आदि की व्यस्तताओं के चलते ऐसा हो नहीं पाता।
नरहरि ने आगे बताया कि अपनी व्यस्तता और आम आदमी की स्थिति का आकलन कर उन्होंने तय किया कि सम्पर्क साधने के लिए सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का सहारा लिया जाए। वह बताते हैं कि उनकी इस पहल के शुरुआती 10 दिनों में ही सार्थक परिणाम सामने आए हैं। बीते 10 दिनों में फेसबुक पर 200 और ट्विटर से 70 लोगों ने उनसे सम्पर्क किया है।
वह आगे बताते हैं कि सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स से जिन लोगों ने उनसे सम्पर्क किया है, उनकी ओर से शहर के सौंदर्यीकरण, विकास सम्बंधी सुझावों से लेकर गड़बड़ियों की शिकायतें आई हैं। कहां शराब बिक रही है, कहां दीगर गड़बड़ियां हैं, ये शिकायतें उन तक आई हैं। इतना ही नहीं एक व्यक्ति ने स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस ज्यादा लेने व रसीद कम राशि की देने तक की शिकायत की है।नरहरि मानते हैं कि उनकी इस पहल में शहर के लोगों की भागीदारी लगातार बढ़ेगी और जनता के सुझाव व शिकायतें नगर विकास में उनके लिए मददगार साबित होंगी।

Wednesday, January 11, 2012

ऐसे नेता अब कहाँ !


आज पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्य तिथि है !शायद ज्यादातर लोग इन्हें भूल चुके है ,लेकिन आज ऐसे ही नेताओ की जरुरत है !शास्त्री जी ने देश को कई सौगाते दी !जय जबान -जय किसान का नारा दिया ,जो बाद में हरित क्रांति में बदला !जब वह गृहमंत्री थे तब उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज की जगह पानी की बौछार छोड़ने की शुरुआत की !

Tuesday, January 10, 2012

माँ !.......इस पालीथिन से मुक्ति दिलाओ



ग्वालियर सहित इस देश में हर दिन ऐसी जानलेवा पालीथिन से न जाने कितने जानवरों की मौत हो जाती है , ग्वालियर में पालीथिन पर प्रतिबन्ध है ,वो सिर्फ कागजों में ...!

Monday, January 2, 2012

हे नगर निगम !ग्वालियर को यूँ बदनाम न करो


ग्वालियर । नववर्ष आगमन का जश्न मनाने के दौरान शनिवार एवं रविावार की दरम्यिानी रात को कुछ उत्पाती युवकों द्वारा कटोराताल मार्ग पर थीम बेस सौन्दर्यकरण के अनुसार धौलपुर पत्थरों से कराए जा रहे फुटपाथ एवं बेंचों की तोडफ़ोड़ किए जाने से की खबरें आई थी। लेकिन नगर निगम में इस तोडफ़ोड़ को लेकर कई तरह की अटकलें गूंज रही है। शहर के की कई सड़कों का निर्माण नगर निगम थीम बेस को लेकर रहा है। जिनमें से कटोराताल मार्ग को राजसी लुक देते हुए इस मार्ग के दोनों तरफ बने फुटपाथ को धौलपुर स्टोन से सजाया संवारा जा रहा है। दोनो तरफ बने फुटपाथों पर धौलपुर स्टोन से बनी बेंचोंको राहगीरों के आराम के लिए लगाया गया था। शनिवार एवं रविवार की दरम्यिानी रात को कुछ उत्पाती युवकों ने नए साल का जश्न मनाने के दौरान इन्हे तोडफ़ोड़ दिया था। नगर निगम के अधिकारी खुले तौर पर इसे उत्पाती लोगो का कारनामा बता रहै हैं। वही दबी आवाज में यह आवाज भी रही है कि इस मार्ग के सौन्दर्यीकरण के लिए कई ठेकेदार काम कम दाम में करने के इच्छुक थे। लेकिन नगर निगम की सत्ता पर सर्वोच्च पर पद बैठे लोगों ने यह काम अपने रिश्तेदारों को दे दिया था। जिसके कारण नाराज ठेकेदारों ने अपनी भड़ास निकालते हुए यहां तोडफ़ोड़ कराई हैं वही चर्चा यह भी है कि इस कार्य का बजट बढ़ाने की साजिश करते हुए मौके का फायदा उठाकर कार्य कर रहे ठेकेदार ने खुद तोडफ़ोड़ कराई है। सौन्दर्यीेकरण कार्य में तोडफ़ोड़ के पीछे कोई भी अफवाह या कारण हो लेकिन हर हाल में नुकसान जनता के पैसों का हुआ हैं।

हैप्पी विंटर ...................