Friday, August 23, 2013

रति :  A Violent Love Story

रति एक बेहद  खुबसूरत लडकी ,सूरज  भी जितना खूबसूरत उतना ही संजीदा ,शर्मीला ,बफादार .दोनों एक  -दुसरे से बेहद प्यार करते थे , ,रति और सूरज वर्षो अपनी दुनिया में रहे ,एक साथ गाँव की गलियों में घूमे,सावन के झूले झूले ,फिर शहर आये कालेज गए इस बीच उनका प्यार परवान चढ़ता गया ,जैसा की हमेशा होता है सामाजिक लडाइयां शुरू हुई ,लाठी ,फरसे ,गोलियां चली ,बाबजूद इसके प्यार कम नहीं हुआ.इन वर्षो में रति समझ चुकी थी कि सूरज इस बेरहम समाज से टक्कर नहीं ले पायेगा .क्योकि रति के घर वालो का सूरज पर शिकंजा कस चुका है ,उसकी जान खतरे में है , बस यही से रति के प्यार की परीक्षा शुरू हो जाती है ,और सूरज पर जुल्म ................सूरज एक दुसरे शहर आ जाता है ,उसके घर वाले उसकी शादी कर देते है ,लेकिन रति सूरज के प्यार में पागल हो जाती है और अपनी शेष जिंदगी मेंटल हास्पीटल मेंसूरज के लिखे खतों के साथ  गुजारती है ,जहाँ उसके कुछ नए दोस्त भी  बनते है ,घर वाले भी कभी कभार वहा आते है .दोस्तों इसके बाद रति का क्या होता है ........?
माही गुप्ता  



Monday, April 8, 2013

पोलखोल इंडिया ..........India's first bilingual magazine

My Chambal

चंबल घाटी में खुल रहे हैं पर्यटन के द्वार

कई दशकों तक डाकुओं की शरणस्थली रही चंबल घाटी अब पर्यटन का एक आकर्षक केन्द्र बनने जा रही है.यहां पर्यटक बीहड़ों की भूल-भुलैया में जाकर न केवल पुरानी दस्यु संस्कृति को टटोल सकेंगें, बल्कि यहां के सदियों पुराने पुरा महत्व के बटटेशुरा, मितवाली, पड़ावली और ककनमठ मंदिरों को नजदीक से देख सकेंगे.   
मुरैना में प्राचीनकाल के ये मंदिर स्थापत्य काल के बेजोड़ नमूने हैं. डाकुओं के आतंक का पर्याय रहे चंबल के बीहड़ हमेशा से आम आदमी के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं, लेकिन अब यहां हालात बदल गये हैं.
यहां के चंबल अभ्यारण्य और उसमें शुरू हुए नौकायन और हाल ही में मुरैना में बनाए गए आलीशान पुरातत्व भवन और उसमें पुरातत्व महत्व की प्रतिमाओं ने पर्यटकों को अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया है.
चंबल में पर्यटन की अपार संभावनाओं के चलते मुरैना के सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर ने जिले के पर्यटन केन्द्रों को निखारने और चंबल की कुख्याति को खत्म करने के लिये पहल की है.
डाकुओं के कारनामों से थर्राती यह घाटी पर्यटकों को अपनी ओर तेजी से खींच रही है.गौरतलब है कि मध्यप्रदेश ने वर्ष 1979 में इसे चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य घोषित किया था. कुल 425 वर्ग किलोमीटर में फैले क्षेत्र में विशेष तौर पर घड़ियालों का संरक्षण किया जाता है.वैसे नदी में डाल्फिन, कछुआ, मगरमच्छ, ऊदबिलाव और अन्य जलीय जीव और प्रवासी पक्षी यहां का मुख्य आकषर्ण हैं.