Friday, June 5, 2009

ग्वालियर के किले पर लिखी थी बाबर ने बसीयत

भारत के मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने अपने पुत्र हुमायूं के नाम बसीयत ग्वालियर के किले में लिखी थी !यह बसीयत एक तरह से नसीहत जेसी है !लेकिन इतिहास ने हुमायूं को इस बसीयत पर अमल करने का अवसर नही दिया !बाबर की बसीयत पर उसके पोते जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर ने पालन किया और इतिहास में महान सम्राट कहलाया !बाबर २६ सितम्बर १५२६को ग्वालियर आया था ,यहाँ के सूबेदार रहीमदाद खान को सबक सिखाने वह इब्राहीम लोधी का सूबेदार था लकिन केन्द्रीय सत्ता के कमजोर होने से उसने बगावत कर दी थी !संत मोह्म्म्द गौस के मध्यस्थ बनने से बाबर ने रहीमदाद को माफी देकर उसे ही ग्वालियर का सूबेदार नियुक्त कर दिया था बाबरनामा में उसने अपनी ग्वालियर यात्रा का विस्तार से वर्णन किया है !ग्वालियर में अपने प्रवास के दोरान बाबर यहाँ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों को देखने भी गया था !वह पदावली का मन्दिर भी देखने गया और उसकी वास्तुकला की उसने बाबरनामा में प्रशंशा भी की है !ग्वालियर दुर्ग पर स्थित मंदिरों की वास्तुकला से भी वह बहुत प्रभावित हुआ था और इसका उल्लेख उसने बाबरनामा में किया है !कुछ इतिहास कारों का कथन है की बाबर ने ग्वालियर दुर्ग में उरबाई घाटी में बनी जैन प्रतिमाएँ को तोड़ने का आदेश दिया था !ग्वालियर किले की उरबाई घाटी में पहाड़ काटकर कई जैन प्रतिमाएं बनाएँ गई है !इनमे स्वामी आदिनाथ की बाबन गज ऊँची प्रतिमा भी है !ग्वालियर के इतिहासकार स्व हरिहर निवास द्विवेदी ने भी अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ग्वालियर के तोमर में यह उल्लेख किया है की जैन प्रतिमाएं बाबर के ग्वालियर प्रवास के दौरान खंडित की गई ,लेकिन उन्हौने यह मान्यता स्थापित नहीं की है की उन्हें बाबर के आदेश पर तोडा गया था !बाबर की हुमायूं के नाम बसीयत भी उसके मूर्ति भंजक होने को प्रमादित नही करती बाबर सन १५२६ में आक्रमण करी बनकर आया था ,और यहीं पर चार साल बाद १५३० में उसकी मौत हो गई !इन चार सालों तक उसे लगातार युद्ध करने पड़े !दिल्ली के सुलतान nइब्राहीम लोधी के बाद उसका मेवाड़ के महाराणा सांगा के साथ भरतपुर के पास स्थित खानावाहा के मैदान में घमासान यूद्ध हुआ !इस यूद्धमें माहाराना सांगा अपने साथियौं की दगावाजी से पराजित हो गये !जब बाबर दिल्ली आगे बड़ा तो हसन खान मेवाती ने उसके पसीने निकाल दिए !हसन खान मेवाती बाबर से युद्ध करते हुए अपने बीस हजार साथियौं के साथ शहीद हो गया !भारत के चार साल के प्रवास में बाबर की सुबह घोडे की पीठ पर होती थी और रात किसी सैनिक छावनी में !इन चार सालो में बाबर एक रात चैन से नहीं सो सका !
------ग्वालियर के किले में प्रवास के दौरान उसने सैनिकों द्वारा जैन प्रतिमाएं खंडित किए जाने के बाद ही उसने किले में हुमायूँ के नाम बसीयत लिखी !इसमे बाबर लिखता है -
*मेरे पुत्र ,भारत में विभिन्न धर्मो के लोग रहते है !इसलिए तुम धर्म के प्रति अंध विश्वासी कभी मत होना और सभी धर्मो का समानरूप से आदर सम्मान करना !
*भारत में हिन्दूयौं का दिल जीते बिना मुग़ल सल्तनत टिक नही सकेगी !इसलिए हिन्दूयों का दिल जीतने के लिए तुम गों मॉस खाना बंद कर देना और गों हत्या पर पावंदी लगा देना !
*हिन्दूयों की भावनाओं को आहात करने तथा उन्हें भड़काने का कोई काम नही करना ,तुम मठ मन्दिर कभी मत तोड़ना !
*इस्लाम का प्रचार तखत और तलवार की ताकत से नही प्रेम और उपकार से करना !
प्रसिद्व एतिहासिक पुस्तक मीदिवल इंडियाना तथा २८ century ऑफ़ इंडिया में बाबर की इस बसीयत का
vistaar से उल्लेख है !

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