Thursday, September 29, 2011
गुड न्यूज़ !पक्षी दे रहे हैं जंगल बढ़ने के संदेश
बढ़ रही शहरी आबादी और हर तरफ खड़े हो रहे कंक्रीट के जंगलों ने हरे भरे जंगलों को निगलने का ही काम किया है. यह स्थिति पर्यावरण के लिए घातक है लेकिन मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित पालपुर कूनों अभयारण्य से अच्छी खबर आ रही है!पिछले आठ वर्षो में यहां पक्षियों की संख्या बढ़ी है, जो इस बात का संकेत है कि यहां हरियाली बढ़ी है. मध्य प्रदेश को राजस्थान से जोड़ने वाला पालपुर कूनो अभयारण्य लगभग 346 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है!इस अभयारण्य में वर्षो से गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान से शेर लाए जाने की कवायद चल रही है, मगर यह कोशिश अब तक कामयाब नहीं हो पाई है और अब इस अभयारण्य में चीते लाने का प्रयास चल रहा है. देश के अन्य जंगलों की तरह पालपुर कूनों में भी हरियाली कम होने की बातें सामने आती रही हैं. यही कारण रहा है कि वहां पक्षियों की संख्या भी कम थी. पालपुर कूनों के जंगल में पक्षियों की स्थिति का पता लगाने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान के विद्यार्थी फैयाज खुदतर ने शोध किया!8 साल पहले खुदतर ने अपना शोध कार्य शुरू किया था और इसके लिए उन्होंने 8 तरह के पक्षियों को अपने शोध का विषय बनाया. वैसे तो यहां 56 से ज्यादा किस्म के पक्षी पाए जाते हैं. खुदतर बताते हैं कि उन्होंने शोध कार्य के लिए कर्नीवोर, फर्गीवोर, ग्रेनीवोर, इंसेक्टीवोर, नेक्टरफीडर, आम्नीवोर, पीसीवोर व प्लांटीवोर नाम वाले आठ किस्म के पक्षियों का चयन किया. इसके लिए उन्होंने प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व को आधार बनाया!जब उन्होंने शोध कार्य शुरू किया तो प्रति वर्ग किलोमीटर में कर्नीवोर का घनत्व 0.85 प्रतिशत, फर्नीवोर का घनत्व 5.36 प्रतिशत, ग्रेनीवोर का घनत्व 8.11 प्रतिशत, इंसेक्टीवोर का घनत्व 4.37 प्रतिशत, नेक्टरफीडर का घनत्व 0.5 प्रतिशत, आम्नीवोर का घनत्व 4.29 प्रतिशत, पीसीवोर का घनत्व 0.22 प्रतिशत तथा प्लांटीवोर का घनत्व 0.25 प्रतिशत था!जीवाजी विश्वविद्यालय के जंतु विभाग के प्रमुख डॉ. आर.जे. राव के निर्देशन में खुदतर ने पक्षियों के शोध कार्य के लिए कुल 35 केंद्र बनाए. इन केंद्रों तक आने वाले पक्षियों का लगातार आकलन किया गया. खुदतर के शोध कार्य से इस बात का खुलासा हुआ है कि पालपुर कूनों में पिछले आठ वर्षो के दौरान पक्षियों की तादाद में इजाफा हुआ है. जिन आठ तरह के पक्षियों को उन्होंने आधार बनाया था, उनके घनत्व में लगभग चार गुना तक का इजाफा हुआ है!डॉ. राव कहते हैं कि पक्षियों का घनत्व बढ़ना इस बात का संकेत है कि वहां हरियाली, अर्थात जंगल बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि यह बात स्वाभाविक है कि पक्षी किसी इलाके में तभी जाएंगे, जब उनके खाने-पीने के लिए वहां कुछ होगा. उन्होंने आगे कहा कि अभयारण्य क्षेत्र से बसाहट कम की गई है, इससे भी जंगल में वृद्धि हुई होगी!
Wednesday, September 28, 2011
Sunday, September 25, 2011
Sunday, September 4, 2011
Saturday, September 3, 2011
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