Thursday, December 31, 2009
Saturday, November 21, 2009
शर्म से कहो हम गुंडे है
मुंबई में आई बी एन -७ व आई बी एन लोकमत के ऑफिस में शिवसेना के सिपाहियों ''गुंडों ''के हाथो पिटाई के बाद बाल ठाकरे ने कहाँ -मीडिया कोई भगवान् नही !बेसक भगवान् नही किंतु आमजन के लिए भगवान् से कम भी नही है !अगर मीडिया न होता तो बाल ठाकरे न होते ,आख़िर कहीं न कहीं बाल ठाकरे को भी अपनी बात कहने के लिए भी अपने भगवान''सामना ''की शरण में जाना ही पड़ता है !
अक्षरों के खिलाफ निरक्षरों की उत्तरों के खिलाफ निरूत्तरो की नपुंसक हिंसा की बोखलाहट का परिणाम है ये ,शिवसेना भले ही अपने आप को "शेर "माने किंतु वास्तविकता यह है की शिवसेना से कायर हिन्दुस्तान में और कोई नही है ,जो महात्मा गांधी के अहिंसा मार्ग पर हिंसा का सहारा लेने को बाध्य है !
शक्ती अगर होती तो आई बी एन -७ के दफ्तर में उनके गुंडों को लात ,घुसे और थप्पड़ नही चलाने पड़ते !एक तरफ़ा हिंसा -प्रतिहिंसा नही हिंसा -एक अल्प sankhyak असुरक्षा का सबूत है !इतने बड़े और देश भर में व्याप्त हिंदू और मराठी समुदाय का स्वंभू ठेकेदार इतना भयभीत और खीन्झा huya क्यों है ?क्यों vichaaro के अस्त्र उसके हाथ से छूट गए है !इतना avaakवह kese हो gya की kavch के tour पर उसे धर्म की आदि maanytaayen नही दिखती !अपने सिपाहियों या यूँ कहे सड़क छाप गुंडों से ठाकरे जिस cheej की rakshaa karnaa chaahte है वह ,kshamaa कीजिये ,किसी क़ा धर्म नही है !धर्म भय से मुक्त kartaa है -svyan को भी और sabhee को abhay बनाता है !भय के जरिये बाल ठाकरे जिसे siddha karnaa चाह रहे है वह धर्म नही है !यहाँ यह बताना jarooree है की vichaaroo से daridra लोगो को ही hathiyaar और laathee उठाने की जरूरत पड़ती है !ठाकरे भय की paikej deeel कर रहे है और उसे आक्रमण के tredmaark में बेच रहे है !lakin कब तक ?ठाकरे mahaavalee नही है ! daid haddee के aadmee है !थप्पड़ के javaav में जिस दिन ghoosa पड़ jaayega उस दिन svastik की bajaay चाँद सितारे unahe dikhane lagenge !और shaayed वह वक्त आ gaya है !
शर्म से कहो हम गुंडे है
मुंबई में आई बी एन -७ व आई बी एन लोकमत के ऑफिस में शिवसेना के सिपाहियों ''गुंडों ''के हाथो पिटाई के बाद बाल ठाकरे ने कहाँ -मीडिया कोई भगवान् नही !बेसक भगवान् नही किंतु आमजन के लिए भगवान् से कम भी नही है !अगर मीडिया न होता तो बाल ठाकरे न होते ,आख़िर कहीं न कहीं बाल ठाकरे को भी अपनी बात कहने के लिए भी अपने भगवान''सामना ''की शरण में जाना ही पड़ता है !
अक्षरों के खिलाफ निरक्षरों की उत्तरों के खिलाफ निरूत्तरो की नपुंसक हिंसा की बोखलाहट का परिणाम है ये ,शिवसेना भले ही अपने आप को "शेर "माने किंतु वास्तविकता यह है की शिवसेना से कायर हिन्दुस्तान में और कोई नही है ,जो महात्मा गांधी के अहिंसा मार्ग पर हिंसा का सहारा लेने को बाध्य है !
बाल ठाकरे हिंदू राष्ट्र या यूँ कहें अब मराठी राज्य के एक राज्य स्तरीय नेता है और वह भी स्वभूं !इस देश के हिन्दुयूं ने या मराठियों ने किसी ठाकरे को अपना माई -बाप नही चुना है !श्रद्धा के लोकतंत्र में भी आस्था और विशवास के लिए वोटिंग अभी तक नही की जाती !बाल ठाकरे के पास हिंदुयों या मराठियों की अपार और अजेय
शक्ती अगर होती तो आई बी एन -७ के दफ्तर में उनके गुंडों को लात ,घुसे और थप्पड़ नही चलाने पड़ते !एक तरफ़ा हिंसा -प्रतिहिंसा नही हिंसा -एक अल्प sankhyak असुरक्षा का सबूत है !इतने बड़े और देश भर में व्याप्त हिंदू और मराठी समुदाय का स्वंभू ठेकेदार इतना भयभीत और खीन्झा huya क्यों है ?क्यों vichaaro के अस्त्र उसके हाथ से छूट गए है !इतना avaakवह kese हो gya की kavch के tour पर उसे धर्म की आदि maanytaayen नही दिखती !अपने सिपाहियों या यूँ कहे सड़क छाप गुंडों से ठाकरे जिस cheej की rakshaa karnaa chaahte है वह ,kshamaa कीजिये ,किसी क़ा धर्म नही है !धर्म भय से मुक्त kartaa है -svyan को भी और sabhee को abhay बनाता है !भय के जरिये बाल ठाकरे जिसे siddha karnaa चाह रहे है वह धर्म नही है !यहाँ यह बताना jarooree है की vichaaroo से daridra लोगो को ही hathiyaar और laathee उठाने की जरूरत पड़ती है !ठाकरे भय की paikej deeel कर रहे है और उसे आक्रमण के tredmaark में बेच रहे है !lakin कब तक ?ठाकरे mahaavalee नही है ! daid haddee के aadmee है !थप्पड़ के javaav में जिस दिन ghoosa पड़ jaayega उस दिन svastik की bajaay चाँद सितारे unahe dikhane lagenge !और shaayed वह वक्त आ gaya है !
Monday, October 26, 2009
रूबीना खान शापू और डॉ राकेश पाठक का सम्मान
Sunday, October 25, 2009
रूबीना खान शापू और डॉ राकेश पाठक का सम्मान
Wednesday, September 23, 2009
श्री राकेश पाठक को पी एच डी
Wednesday, June 10, 2009
ग्वालियर की तोमर रानी ने भेंट किया था बाबर को कोहिनूर
जगत प्रसिद्व कोहिनूर हीरा ग्वालियर की महारानी ने अपने दो बच्चो की हिफाजत के बदले हुमायूँ के मार्फ़त बाबर को भेंट में दिया था !ग्वालियर के पूर्व महाराजा विक्रमादित्य सिंह पानीपत के मैदान में इब्राहीम लोदी की सेना के साथ बाबर से युद्ध करते हुए खेत रहे थे !बाद में हुमायूँ दिल्ली से होते हुए आगरा आया तब उसकी फौज ने विक्रमादित्य की पत्नी तथा दो बच्चो को बंदी बना लिया था !ग्वालियर के तोमर राजा विक्रमादित्य मान सिंह के पुत्र थे और गद्दी के वारिस थे !उन्हें मजवूरी में ग्वालियर रियासत इब्राहीम लोदी को सोपनी पड़ी थी !इब्राहीम ने विक्रमादित्य को आगरा के पास स्थित शमशाबाद की जागीर सौप कर अपना दरवारी बना लिया था !ग्वालियर इब्राहीम के पिता सिकंदर लोदी के समय से ही आखं की किरकिरी बना रहा !उसने ग्वालियर पर पाँच बार हमला किया लेकिन हर बार पराजय उसके हिस्से में आई और वह ग्वालियर किला फतह नही कर सका !सिकंदर लोदी ने दिल्ली छोड़कर आगरा को अपनी राजधानी बनाया था !हुमायूं जब शमशाबाद में विक्रमादित्य की विधवा रानी से मिला तो उन्होंने भरोसा दिलाया की इब्राहीम लोधी हमारा भी दुश्मन था !अपनी बात पर विस्वास दिलाने के लिए महारानी ने बेशकीमती कोहिनूर हीरा यह कहते हुए भेंट किया था की मेरे लिए मेरे बच्चे सबसे प्यारे है !आपने मेरी बेटी की इज्जत बचाई ,बेटे की जान बचाई और मेरी जिन्दगी मुझे लौटा दी ,यह हीरा शुक्र गुज़री के तौरपर स्वीकार करे !विक्रमादित्य का बेटा राम सिंह तोमर बाद में मेवाड़ के महारानाओ के पास चला गया था !महाराणा प्रताप ने उसे ग्वालियर के राजा के तौर पर अपने दरबार में स्थान दिया था !हल्दी घाटी के युद्ध में ग्वालियर के इसी तोमर राजा ने अपनी शहादत देकर महाराणा प्रताप की जान बचाई थी !इस युद्ध में उसके दो बेटो ने भी शहादत दी और इसी के साथ ग्वालियर के तोमर के राजपरिवार का अंत हो गया !
Monday, June 8, 2009
तबियत के राजा थे श्याम
मेरा श्याम राजा से ज्यादा मिलना -जुलना नही था !पिछले कई वर्षो से न उनसे रूबरू हुआ और न फोन पर बात हुई !बावजूद इसके वे आसपास ही खड़े महसूश होते थे !एक जेसी सोच और एक जेसा फक्कड़पन मेरे और राजा जी के बीच के रिश्ते का आधार था !राजाजी कलाकार भी थे और चिन्तक भी !वामपंथ राजी जी की राजनीतिक सोच का हिस्सा था !राजाजी ने अपना जीवन अपने ढंग से अपनी शर्तो पर जिया !किसी की परवाह नही की !श्याम से राजा बनने तक वे अपने ढंग के व्यक्ति थे !मूलिकता उनमे अनंत थी ,लेकिन समाज को इसका पूरा लाभ नही मिला !कला धर्म से विमुख होकर राजा व्यवसाय की और उन्मुख हुए ,तो फ़िर व्यवसाय के ही होकर रह गये !वर्षो पहले रसोई गेस बेचते -बेचते राजाजी ने हिन्दू सम्रध्वी नाम से एक सांध्य दैनिक निकालना शुरू किया !इस अखबार के प्रातःकालीन संस्करण की योजना बनी तो राजाजी ने मुझे याद किया !मै उनके प्रकाशन से कोई तीन -चार महीने ही जुदा रह सका !मेने पाया की श्याम के राजा होने के बाद बहुत कुछ बदल गया था किंतु उनका राजा मन नही बदला था !असहमती उन्हें स्वीकार नही थी और किसी मुद्दे पर वे स्यमंआसानी से सहमत नही होते थे !अखबार के घालमेल के मुद्दे पर हम दोनों में सहमती नही बनी !उन्होंने प्रत्यछ रूप से मेरा विरोध किए बिना मुझे मेरी जिम्मेदारियों से मुझे स्वतंत्र कर दिया !इसके बावजूद रिश्तो के निर्वाह में राजाजी कभी पीछे नही हटे !बाद के वर्षो में राजाजी का वामपंथ कट्टर हिन्दू वाद की भेट चढ़ गया !इस परिवर्तन के समर्थन में भी राजाजी के पास अकाट्य तर्क होते थे !मुझे लगता हे की राजा जी की रचनाधर्मिता और मोलिकता पर अगर व्यवसाय अतिक्रमण नही करता तो वे समाज को और भी कुछ ज्यादा दे सकते थे !राजा जी असमय चले गये !उनके जाने पर विस्वास करने में किंचित परेशानी तो होती है किंतु सत्य तो स्वीकार करना ही होता है !राजाजी का जाना स्राजन्शीलता ,साहित्य ,पत्रकारिता और समाज सभी की छति है क्योंकि राजाजी जेसा दूसरा हो नही सकता जो जोत से जोत जलाने की अभूतपूर्व छमता रखता हो !इति !
(ग्वालियर :वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की कलम से )
Friday, June 5, 2009
ग्वालियर के किले पर लिखी थी बाबर ने बसीयत
------ग्वालियर के किले में प्रवास के दौरान उसने सैनिकों द्वारा जैन प्रतिमाएं खंडित किए जाने के बाद ही उसने किले में हुमायूँ के नाम बसीयत लिखी !इसमे बाबर लिखता है -
*मेरे पुत्र ,भारत में विभिन्न धर्मो के लोग रहते है !इसलिए तुम धर्म के प्रति अंध विश्वासी कभी मत होना और सभी धर्मो का समानरूप से आदर सम्मान करना !
*भारत में हिन्दूयौं का दिल जीते बिना मुग़ल सल्तनत टिक नही सकेगी !इसलिए हिन्दूयों का दिल जीतने के लिए तुम गों मॉस खाना बंद कर देना और गों हत्या पर पावंदी लगा देना !
*हिन्दूयों की भावनाओं को आहात करने तथा उन्हें भड़काने का कोई काम नही करना ,तुम मठ मन्दिर कभी मत तोड़ना !
*इस्लाम का प्रचार तखत और तलवार की ताकत से नही प्रेम और उपकार से करना !
प्रसिद्व एतिहासिक पुस्तक मीदिवल इंडियाना तथा २८ century ऑफ़ इंडिया में बाबर की इस बसीयत का
vistaar से उल्लेख है !