Saturday, November 21, 2009

शर्म से कहो हम गुंडे है


मुंबई में आई बी एन -७ व आई बी एन लोकमत के ऑफिस में शिवसेना के सिपाहियों ''गुंडों ''के हाथो पिटाई के बाद बाल ठाकरे ने कहाँ -मीडिया कोई भगवान् नही !बेसक भगवान् नही किंतु मजन के लिए भगवान् से कम भी नही है !अगर मीडिया न होता तो बाल ठाकरे न होते ,आख़िर कहीं न कहीं बाल ठाकरे को भी अपनी बात कहने के लिए भी अपने भगवान''सामना ''की शरण में जाना ही पड़ता है !
अक्षरों के खिलाफ निरक्षरों की उत्तरों के खिलाफ निरूत्तरो की नपुंसक हिंसा की बोखलाहट का परिणाम है ये ,शिवसेना भले ही अपने आप को "शेर "माने किंतु वास्तविकता यह है की शिवसेना से कायर हिन्दुस्तान में और कोई नही है ,जो महात्मा गांधी के अहिंसा मार्ग पर हिंसा का सहारा लेने को बाध्य है !

बाल ठाकरे हिंदू राष्ट्र या यूँ कहें अब मराठी राज्य के एक राज्य स्तरीय नेता है और वह भी स्वभूं !इस देश के हिन्दुयूं ने या मराठियों ने किसी ठाकरे को अपना माई -बाप नही चुना है !श्रद्धा के लोकतंत्र में भी आस्था और विशवास के लिए वोटिंग अभी तक नही की जाती !बाल ठाकरे के पास हिंदुयों या मराठियों की अपार और अजेय

शक्ती अगर होती तो आई बी एन -७ के दफ्तर में उनके गुंडों को लात ,घुसे और थप्पड़ नही चलाने पड़ते !एक तरफ़ा हिंसा -प्रतिहिंसा नही हिंसा -एक अल्प sankhyak असुरक्षा का सबूत है !इतने बड़े और देश भर में व्याप्त हिंदू और मराठी समुदाय का स्वंभू ठेकेदार इतना भयभीत और खीन्झा huya क्यों है ?क्यों vichaaro के अस्त्र उसके हाथ से छूट गए है !इतना avaakवह kese हो gya की kavch के tour पर उसे धर्म की आदि maanytaayen नही दिखती !अपने सिपाहियों या यूँ कहे सड़क छाप गुंडों से ठाकरे जिस cheej की rakshaa karnaa chaahte है वह ,kshamaa कीजिये ,किसी क़ा धर्म नही है !धर्म भय से मुक्त kartaa है -svyan को भी और sabhee को abhay बनाता है !भय के जरिये बाल ठाकरे जिसे siddha karnaa चाह रहे है वह धर्म नही है !यहाँ यह बताना jarooree है की vichaaroo से daridra लोगो को ही hathiyaar और laathee उठाने की जरूरत पड़ती है !ठाकरे भय की paikej deeel कर रहे है और उसे आक्रमण के tredmaark में बेच रहे है !lakin कब तक ?ठाकरे mahaavalee नही है ! daid haddee के aadmee है !थप्पड़ के javaav में जिस दिन ghoosa पड़ jaayega उस दिन svastik की bajaay चाँद सितारे unahe dikhane lagenge !और shaayed वह वक्त आ gaya है !

शर्म से कहो हम गुंडे है



मुंबई में आई बी एन -७ व आई बी एन लोकमत के ऑफिस में शिवसेना के सिपाहियों ''गुंडों ''के हाथो पिटाई के बाद बाल ठाकरे ने कहाँ -मीडिया कोई भगवान् नही !बेसक भगवान् नही किंतु आमजन के लिए भगवान् से कम भी नही है !अगर मीडिया न होता तो बाल ठाकरे न होते ,आख़िर कहीं न कहीं बाल ठाकरे को भी अपनी बात कहने के लिए भी अपने भगवान''सामना ''की शरण में जाना ही पड़ता है !
अक्षरों के खिलाफ निरक्षरों की उत्तरों के खिलाफ निरूत्तरो की नपुंसक हिंसा की बोखलाहट का परिणाम है ये ,शिवसेना भले ही अपने आप को "शेर "माने किंतु वास्तविकता यह है की शिवसेना से कायर हिन्दुस्तान में और कोई नही है ,जो महात्मा गांधी के अहिंसा मार्ग पर हिंसा का सहारा लेने को बाध्य है !
बाल ठाकरे हिंदू राष्ट्र या यूँ कहें अब मराठी राज्य के एक राज्य स्तरीय नेता है और वह भी स्वभूं !इस देश के हिन्दुयूं ने या मराठियों ने किसी ठाकरे को अपना माई -बाप नही चुना है !श्रद्धा के लोकतंत्र में भी आस्था और विशवास के लिए वोटिंग अभी तक नही की जाती !बाल ठाकरे के पास हिंदुयों या मराठियों की अपार और अजेय
शक्ती अगर होती तो आई बी एन -७ के दफ्तर में उनके गुंडों को लात ,घुसे और थप्पड़ नही चलाने पड़ते !एक तरफ़ा हिंसा -प्रतिहिंसा नही हिंसा -एक अल्प sankhyak असुरक्षा का सबूत है !इतने बड़े और देश भर में व्याप्त हिंदू और मराठी समुदाय का स्वंभू ठेकेदार इतना भयभीत और खीन्झा huya क्यों है ?क्यों vichaaro के अस्त्र उसके हाथ से छूट गए है !इतना avaakवह kese हो gya की kavch के tour पर उसे धर्म की आदि maanytaayen नही दिखती !अपने सिपाहियों या यूँ कहे सड़क छाप गुंडों से ठाकरे जिस cheej की rakshaa karnaa chaahte है वह ,kshamaa कीजिये ,किसी क़ा धर्म नही है !धर्म भय से मुक्त kartaa है -svyan को भी और sabhee को abhay बनाता है !भय के जरिये बाल ठाकरे जिसे siddha karnaa चाह रहे है वह धर्म नही है !यहाँ यह बताना jarooree है की vichaaroo से daridra लोगो को ही hathiyaar और laathee उठाने की जरूरत पड़ती है !ठाकरे भय की paikej deeel कर रहे है और उसे आक्रमण के tredmaark में बेच रहे है !lakin कब तक ?ठाकरे mahaavalee नही है ! daid haddee के aadmee है !थप्पड़ के javaav में जिस दिन ghoosa पड़ jaayega उस दिन svastik की bajaay चाँद सितारे unahe dikhane lagenge !और shaayed वह वक्त आ gaya है !